वो करता था बातें सपनों की
वो करता था बातें सपनों की
वो करता था बातें सपनों की,
सपनों में मिलते कुछ अपनों की,
वो किस्से कहानी वो बातें रूमानी,
नई पुरानी कुछ जानी पहचानी।
वो करता था बातें लाखों की,
सपनों को पनपाती आँखों की,
सुरमई कजरारी वो आँखें नूरानी,
आँखें थी जिनमें भरी जिंदगानी।
वो करता था बातें नींदों की,
आँखों में पलती इन बूंदों की,
कभी होती गायब, कभी थी सुहानी,
बहता समंदर तो कभी ठहरा पानी।
वो करता था बातें जज्बातों की,
नींदों में उलझी उन रातों की,
रातें थी जिनमें क़ैद कई कहानी,
कुछ सुनाई, तो थीं कुछ बाकी सुनानी।
सपनों की तो है अजब ही कहानी,
सजाते हैं रातों को, देते निशानी,
बातें ये रातों के अनमोल गहनों की,
सपनों में मिलते उन सारे अपनों की,
वो करता था बातें सपनों की।
