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Dr Priyank Prakhar

Inspirational

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Dr Priyank Prakhar

Inspirational

नर्स: बहुरूपी किरदार

नर्स: बहुरूपी किरदार

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तुम कभी मां, कभी बेटी तो बहन बन जाती हो,

हर दिन-पल, जाने कितने किरदार निभाती हो,

सांस आखिरी या पहली तुम ही नजर आती हो,

मुरझाई आंखों में आशा की चमक लौटाती हो।


रातें कितनी गैरों की खातिर जगते बिताती हो,

खुद दुख सीने में रख औरों का दुख मिटाती हो,

मुझे बताओ इतना सब्र तुम कहां से लाती हो,

बिना तने बिना रुके कैसे सब करती जाती हो।


बिना भेद रोगी का सुख-दुख तुम अपनाती हो,

डॉक्टर को सफलता के द्वार तक पहुंचाती हो,

अस्पताल के सूने दिल को तुम धड़काती हो,

जब शीबा, सोफी, शीना से नर्स बन जाती हो।

अच्छा तुम नर्स हो तभी तो इतना कर पाती हो।


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