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Dr Priyank Prakhar

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कान्हा भजन

कान्हा भजन

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मोहिनी मूरत सांवली सूरत कितनी सुंदर काया है,

देखो जी देखो आज हमारे घर में कान्हा आया है,

मृग से नैना, छीने मेरा चैना, कैसी सुंदर छाया है,

आलोकित मुख चंद्र सलोना, रूप अद्भुत पाया है।


बजते हैं घंटे घंटी, साथ में ढोल मंजीरा बजाया है,

कान्हा तू ये दृश्य अनोखा, बोल कहां से लाया है,

आओ आंखों में भर लो, ये कई जन्मों में आया है,

मैं आभारी तेरा, तूने इन आंखों को दिखलाया है। 


परमेश्वर का अंश है ये, लगती उसकी ही माया है,

उत्तल ललाट केश मुकुट पे, पंख मयूर लगाया है,

उदित हुए हैं पुण्य हमारे, ऐसा अलख जगाया है,

देखो जी देखो, निर्धन के घर लक्ष्मीपति आया है।



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