सुनहरी यादों की खुशबू
सुनहरी यादों की खुशबू
मेरी आँखों के सामने शीशे पर,
ज्यूँ बारिश की बूदों की लकीर,
कुछ कहने के लिये जैसे आई हो,
कुछ मीठी बाते बताने को आई हो,
प्यार की सुनहरी यादों की खुशबू,
तुम्हारी अठखेलियों की भाँति,
कभी कभी झगड़ने को मन करके,
कभी दिलका हाल समझाने को,
मेरे दिल के दरवाजे पर दस्तक देकर,
बिन बोले ही सुदूर से देखकर,
मन ही मन खुश हो इठलाना,
सारी कड़वाहट को मन से मिटाना,
मेरे घिसे पिटे जोक्स पर भी हँसना ,
मेरी नादानियों की ग़ज़ल पर भी,
मन रखते हुए अनमोल दाद भी,
अपनी झोली से निकल मुझे देना,
औऱ चुपचाप से बिन टोके ही दूर से,
देखकर घर को लौटकर खुशी से,
अपने आँगन की वाटिका में भी,
मन के भवरे को नृत्यक्रिया में भी,
उलझा रखकर मेरी पसंद के रंगों की,
फुलवारियां बनाकर उन्हें प्रतिदिन सींचना,
मन मे दबा अपनी सभी बातों को,
मुझसे कहने में कुछ तो झिझक को,
अगर मिटाया होता तो शायद आज,
तुम्हारी याद में मैं कुछ तो लिख पाया होता।।
