"सूना सूना लगता है"
"सूना सूना लगता है"
भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन,
कितना सूना सूना लगता है यह एकाकीपन।।
नीरस सा होकर जागता है रात यह चन्द्रमा,
पानी बनकर दिलमे सबके रहती है ये ऊष्मा,
चलता है मन पाने सपनो की बुनियाद पर,
जख्मों को सीकर जख्मो की ही फरियाद पर,
कहता नही है मन दिशा भटक गया है मन,
भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन।।
तुम बिन जैसे मन में हलचल कुछ कम है,
आँखो का पानी जैसे तुम बिन कुछ नम है,
अब सांसे चलती है या सूखी सी आहे भरती हैं,
तुम्हारे आने का ही तो ये इंतजार करती है,
चलती है हवाएँ चारों तरफ मौसम के बिन,
भागदौड़ भरी जिंदगी में लगा है हरेक मन।।

