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Kumar Naveen

Romance

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Kumar Naveen

Romance

एक ऐसा भी मंजर देखा

एक ऐसा भी मंजर देखा

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रंग बदलती दुनिया का,

एक ऐसा भी मंजर देखा।

शर्मीली आँखों में मैंने,

इश्क़ का समंदर देखा।।


डूबता रहा, उस असीम गहराई में;

होश तब आया, जब प्यार में;

तन्हाई का खंजर देखा।।


यूँ तो दुनिया, हर कदम पर, मुझे रोकती रही;

संभलता कैसे, पहली बार जो मैंने;

इश्क़ का बवंडर देखा।।


सोचता हूँ 'नवीन' अपनी मूर्खता का,

मैं क्या नाम दूँ।

हर पराजित आशिक में मैंने,

दर्द-ए-शायरी का सिकंदर देखा।।


साहित्याला गुण द्या
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