STORYMIRROR

Sarita Dikshit

Romance

4  

Sarita Dikshit

Romance

तुम अगर साथ हो

तुम अगर साथ हो

1 min
304


मुस्कुराती सुबह खुशनुमा रात हो

प्यार ही प्यार हो,तुम अगर साथ हो


गम के बादल जो छाएं हैं,छंटने लगे

आरज़ू के सितारे नज़र आएंगे 

रंज की धुंध गुम होने वाली है अब

गुनगुनी धूप है तुम अगर साथ हो


यूं तो तन्हा सफर थी अभी तक मेरी

span>

राह में तुम मिले हमसफर बन गए

अब ना मंज़िल के खोने की कोई फिकर

राह आसान है तुम अगर साथ हो


तुमसे मिलना भले एक संयोग था

पर ये रिश्ता हमारा तो जन्मों का है

यूं हीं मिलते रहें मौत के बाद भी

ज़िंदगी की तरह, तुम अगर साथ हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance