दर्द में शामिल रहे हैं
दर्द में शामिल रहे हैं
मन तुम्हारा रोज बदले लाख कपड़े, ख्वाहिशों का तन छुपाये या सजाये।
हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहे थे, हम तुम्हारे दर्द में शामिल रहेंगे।।
हाथ में लेकर तुम्हारा हाथ हमने, प्रेम के पन्ने हजारों पढ़ लिए थे।
भावना की तान में अनुरक्त मन ने, छंद स्वप्नों के मनोहर गढ़ लिए थे।
तुम भले कर दो उपेक्षित उन पलों को, अनसुनी कर दो हृदय की याचनाएँ..
किन्तु हम संभावना के गाँव जाकर, प्रश्न जो मन में पड़े हैं, सब कहेंगे....।।
लादकर सपनों की दुनिया चल पड़े हैं, इस धरा से उस गगन को जोड़ना है।
एक झोंका सा उठा है आज मन में, रुख हवाओं का हमें ही मोड़ना है।
आज कितनी भी विरोधी कोशिशें हों, या चुनौती दें हृदय की वेदनाएँ..
बह चले हैं जिस दिशा में प्राण सत्वर, उस दिशा में हम निरन्तर ही बहेंगे.....।।

