आ भी जा सावन
आ भी जा सावन
कब तक प्यासा रहूँ मैं, अब आ भी जा सावन
बुझा जा प्यास हमार।
आस लगा बैठा हूँ मैं, अब आ भी काले बादल
भींगा जा तन हमार।।
बंजर हो गए खेत मेरे, सुना पर गया खलिहान
कुछ तो जगा जा अब।
महीन बीत गए अब, पत्थरा गए है नयन हमार
कुछ तो आहट सुना जा।।
कुछ तो आस जगा जा.......... ए सावन.........
अर्पण करना है मेघपुष्प, गौरीनाथ ने पुकारा है
प्रवाहिनी भी सुख रही हमार।
भू-पात्र लिए खड़ा मैं, विनती करता हूँ विधाता
सुन ले दुखड़ा हमार।।
कुछ तो आस जगा जा.... बरसात करा जा अब।

