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मनोज सिंह 'यशस्वी'

Romance Tragedy

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मनोज सिंह 'यशस्वी'

Romance Tragedy

तेरे बिन

तेरे बिन

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कट रही रातें गिनकर तारे तेरे बिन।

अगोरता रहता आँगन मै तेरे बिन।।


धूमिल पड़ गया अब आइना भी है ये।

खुद भी नजर नहीं आता कहीं तेरे बिन।।


पायल की खनखनाहट कोयल सी आहट।

सुने भी पड़ गए है श्रुतिपट अब तेरे बिन।।


क्या सबेरा क्या शाम सब अपनी जगह है।

सावन भी तो फीका पर गया तेरे बिन।।


तेरा इठलाना थोड़ी नोकझोक करना।

ये शरारते भी कहाँ भाती तेरे बिन ।।


महकते फिजां महकते फूल पत्ते भी अब।

सुरभि छोड़ मुरझाने लगे अब तेरे बिन।।

 

रहती तो हो तुम मेरे पास हर वक़्त अब।

मेरे अक्षि भी बेगाना हो गए तेरे बिन।।


अंशुमान ज्योति में छाया बनती सब की।

मेरे परछाई भी नहीं दिखती तेरे बिन।।



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