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MANOJ SINGH

Romance Inspirational

4.0  

MANOJ SINGH

Romance Inspirational

पधारो है नंद लाल

पधारो है नंद लाल

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पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा।

पालने में खेलता वो, मुस्कुरा रही देख यशोदा।।


शोभे मयूर पंख सिर तेरे, हाथ लिए बंसी।

नटखट गोपाल लीला, गोपियाँ थाम न सकी हँसी।।


लीला है अपरंपार तेरा, जीवन का मूल्य सिखाया।

प्रेम पाठ दिया तूने, तोड़ अहंकार सबका।।


पधारो है नंद लाल, जगमगा रही धरा ........


बाल रूप तेरा देख, पधारे ब्रह्मा भोले।

हाथ जोड़ मस्तक झुका, धन्य है प्रभु बोले।।


लीला ऐसा रचाया, राधा मगन हो गई तुझमें।

कालियानाग का घमंड तोड़, यमुनावासी भयमुक्त हो गए।।


पग बढ़ा दिये तूने अपना, चल दिये जग कल्याण की ओर।

रो पड़ी मइया यशोदा, कान्हा चले हस्तिना की ओर।।


अर्जुन खुश हुए, जब श्रीकृष्ण मिले वहाँ।

मन सुनिश्चित किया, सत्य की जीत है यहाँ।।


दिखाया सत्यमार्ग राह, श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जब।

भयभीत हो उठा, कौरव सेना ने तब।।


कुरुक्षेत्र की धरा पर, रुद्र रूप में आये श्रीकृष्ण ने।

हाथ जोड़ विनती कर, गीता ज्ञान लिया अर्जुन ने।।


पधारो हे नंद लाल, जगमगा रही धरा।


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