मिडिल क्लास
मिडिल क्लास
आसमान से टपक, खजूर पर रहा लटक
बारिश के बुलबुले, राह पर बना रहा मरीच
ऐसी रही किस्मत, बन गया मिडिल क्लास ।
बिता दिया आधी उम्र, ये सोचने में
झड़ते हुए बाल, बढ़ते हुए पेट रोकने में
ढूंढता रहा रेत में तिनका, पा न सका कुछ खास ।
दाम बढ़े B M W का या लॉन्च हो I-फोन
अखबारी पन्नों को पलटता रहा, पढ़ सरकारी स्कीमों के नाम
क्या फर्क पड़ता साहब, है तो हम मिडिल क्लास ।
घरों में बनती पनीर की सब्जी, जब दूध जाती है फट
लिया जायका मीठी भात का, जब बच गई बासी भात
ऐसे ही तो होते है, हमारे यहां मिडिल क्लास ।
कुछ आस में ही बनती है कुछ खास
खुद के रसोई में बने बासमती का रहता इंतज़ार
जब आएंगे वो मेहमान खाएंगे कुछ खास ।
वैसे तो नाम दर्ज है हमारा बड़ी संख्या करदाता में
पर लुटा जाता है सारा कमाई कर चुकाने में
ऐसी है हमारी पहचान हम है मिडिल क्लास ।
