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मनोज सिंह 'यशस्वी'

Inspirational

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मनोज सिंह 'यशस्वी'

Inspirational

मिडिल क्लास

मिडिल क्लास

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आसमान से टपक, खजूर पर रहा लटक

बारिश के बुलबुले, राह पर बना रहा मरीच

ऐसी रही किस्मत, बन गया मिडिल क्लास ।


बिता दिया आधी उम्र, ये सोचने में

झड़ते हुए बाल, बढ़ते हुए पेट रोकने में

ढूंढता रहा रेत में तिनका, पा न सका कुछ खास ।


दाम बढ़े B M W का या लॉन्च हो I-फोन

अखबारी पन्नों को पलटता रहा, पढ़ सरकारी स्कीमों के नाम

क्या फर्क पड़ता साहब, है तो हम मिडिल क्लास ।


घरों में बनती पनीर की सब्जी, जब दूध जाती है फट

लिया जायका मीठी भात का, जब बच गई बासी भात

ऐसे ही तो होते है, हमारे यहां मिडिल क्लास ।


कुछ आस में ही बनती है कुछ खास

खुद के रसोई में बने बासमती का रहता इंतज़ार

जब आएंगे वो मेहमान खाएंगे कुछ खास ।


वैसे तो नाम दर्ज है हमारा बड़ी संख्या करदाता में

पर लुटा जाता है सारा कमाई कर चुकाने में

ऐसी है हमारी पहचान हम है मिडिल क्लास ।



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