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Sheetal Jain

Inspirational

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Sheetal Jain

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विश्व भ्रमण

विश्व भ्रमण

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लक्ष्य निर्धारित कर निकल पड़े हैं 

अब न पीछे मुड़कर देखेंगे 

मंज़िल तय कर ही लौटेंगे ।

बाधाओं का डर नहीं है 

हौसले अब दोस्त हमारे 

सीख रहे समुद्र से हम

कभी तो मिलेंगे किनारे ।

जब संगठित है हम

तो डर किस बात का 

संकट पर भीम बनकर टूटेंगे

समझ गए 

फूल के साथ काँटे भी तो मिलेंगे ।

हम वो सैलानी 

हर दिन उत्सव सा मनाते 

ज़िंदगी का हर राग

एक ताल में बजाते 

कर लो यह विश्वास 

अब तो विश्व भ्रमण कर ही लौटेंगे ॥


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