प्रतिरूप
प्रतिरूप
फ़िरंगी जब हिन्दुस्तान आए साथ बहुत कुछ लाए
सूट,बूट सजीले परिधान
रंगीन अंदाज, शौक़ सभी को भाए।
एक तबका जो था बहुत प्रभावित
करता था उनके सब काम
तमग़ा उन्हें आभिजात्य का दिया
अँग्रेजी बाबू उपनाम मिला।
साथ रहते रहते ग़लतफ़हमी हो गई
उनका प्रतिरूप समझ
वेशभूषा साज सज्जा में
मिलावट हो गई,नौटंकी की शुरुआत हो गई।
हुक्का लेकर हाथ में
विलायती कुर्सी पर बैठ
अलबर्ट जैसे बाल सँवारे
कानों में पहने बाले
बकलस जूते पहन
विद्रूप ज़िंदगानी हो गई।
चित्रकार के लिए स्वर्णिम अवसर हो गया
हास्य उपहास को रंगों में कर क़ैद
समय को जीवंत कर दिया
भौतिक संस्कृति का प्रभाव दर्शा दिया।
अनोखी यह चित्र शैली
कालीकट नाम जिसका
बाबू संस्कृति पर सटीक
प्रतिबिंब अंकित कर दिया॥
