दैहिक, भौतिक सुख ठुकराकर, मानवीय आदर्श दिखाकर। दैहिक, भौतिक सुख ठुकराकर, मानवीय आदर्श दिखाकर।
पर अपनों के लिए तू ही तो संसार है। पर अपनों के लिए तू ही तो संसार है।
नष्ट हो जायेंगे दुख सभी, सुख पाओगे अपार केवल तुम्हारे कारण, सुखी बनेगा सारा संसार ! नष्ट हो जायेंगे दुख सभी, सुख पाओगे अपार केवल तुम्हारे कारण, सुखी बनेगा सारा स...
कई बार मुश्किल है होता , जो सोच रखा वह करना कई बार मुश्किल है होता , जो सोच रखा वह करना
सुख पाता एक जन जिस साधन से, हो सकता है दूजे को न दे पाए शांति। सुख पाता एक जन जिस साधन से, हो सकता है दूजे को न दे पाए शांति।
पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती, के ही उपासक, और बनेगा कौन ? पीड़ित की वाणी बनें सरस्वती, के ही उपासक, और बनेगा कौन ?