बहु भाषा में लिखवा देता जब बोलूं तो झुठला देता बहु भाषा में लिखवा देता जब बोलूं तो झुठला देता
आश्रयस्थल होकर भी वीरान हूं ! यही मेरी नियति है ! आश्रयस्थल होकर भी वीरान हूं ! यही मेरी नियति है !
इतना क्यों अभिमान किया सुख को सूली टांग दिया। इतना क्यों अभिमान किया सुख को सूली टांग दिया।
कई बार मुश्किल है होता , जो सोच रखा वह करना कई बार मुश्किल है होता , जो सोच रखा वह करना
आओ देश का यशगान करें हम ,देश है अपना सबसे न्यारा ये गुणगान करें हम आओ देश का यशगान करें हम ,देश है अपना सबसे न्यारा ये गुणगान करें हम
शिक्षा, साकार हुई तेरी, पितृपक्ष का श्राद्ध। शिक्षा, साकार हुई तेरी, पितृपक्ष का श्राद्ध।