परिजन निज विवेक आवश्यकताएं अपना झूठी सी भ्रांति आश्रित क्रांति लुटाएं खुशियां प्रकृति संरक्षण बेबजह तुलनाएं अगणित तृष्णाएं सपना अंतर्मन के भाव भावना भौतिक साधन अनावश्यक चिंताएं सफल करें योजनाएं हिन्दीकविता मिल जुलकर संवारें वर्तमान

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