तनाव-कारण और निवारण
तनाव-कारण और निवारण
हमारे मन की अगणित तृष्णाएं
दुख देतीं हमारी बेबजह तुलनाएं।
सब चाहें सुखमय जीवन बिताएं
फिर पाते हैं क्यों विविध यातनाएं?
खुद बढ़ाई गईं अनावश्यक चिंताएं,
महसूस करातीं हैं हमको अभाव।
देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं,
व व्याधियां मूल में जिनके तनाव।
जीवन की घटनाएं जो चुकी हैं बीत,
व्यग्र हो जाते हैं सोचकर हम उन्हें।
या भविष्य की वे अनिश्चितताएं जो हैं,
पूर्णतः अनिश्चित चैन न लेने देती हमें।
बढ़ती है खुशियों से दूरी-बढ़ते हैं ग़म
चैन की चाह में सतत् बेचैनी का प्रभाव।
देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं
व्याधियां मूल में जिनके तनाव।
रखना है हम सबको हर पल ही ये ध्यान,
छोड़ दोनों कल विधिवत संवारें वर्तमान।
इस कटु सत्य को हम सब लेवें यह जान,
तव समस्या का है आपके पास समाधान।
छोड़ तृष्णाएं-चिंताएं और सारी तुलनाएं,
पाएं खुशियां गम मिटाएं करें ऐसा चुनाव।
देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं,
व्याधियां मूल में जिनके तनाव।
तनाव को हम सब रखें कोसों ही दूर,
खुद खुश रह लुटाएं खुशियां भरपूर।
समस्याओं से न हों बिल्कुल ही तंग,
धीर धर जीतें निज जीवन की जंग।
मिल जुलकर सफल करें योजनाएं,
हो सबका विकास रहे न कोई अभाव।
देती हैं तन-मन को बहु पीड़ाएं,
व्याधियां मूल में जिनके तनाव।