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Mousmi Bishnu

Abstract

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Mousmi Bishnu

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आहिस्ता

आहिस्ता

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समंदर की रेत में अक्सर

पैर धंस जाया करते हैं

गीली चट्टानों पर भी यूँ ही

फिसल जाया करते हैं


ये नए ज़माने का

इश्क़ है जनाब,

इसमें चलना ज़रा

आहिस्ता आहिस्ता


मतलब की पोशाक पहनी है सबने,

यहां हर चेहरे पर मुखौटा है

धन का महल तो बड़ा है,

पर हर किसी का दिल छोटा है


ये नए ज़माने की दोस्ती है यारा,

ऐतबार करना ज़रा आहिस्ता आहिस्ता

जहा रिश्तों से ज्यादा दिल टूटते हैं, 

अहंकार भी सर पर सवार है

झूठ सच पर हावी हो जाए 


और एक नन्हीं सी पंखुड़ी भी

हवस का शिकार है

ये दौर तो मेरी समझ से परे है

इंसानियत दिखाना ज़रा आहिस्ता आहिस्ता।   


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