प्यार
प्यार
वो बात ही और थी पहले पहले प्यार की
उसी के नशे में खो जाना
सब कुछ भूल कर उसी का हो जाना
रातों में चांद को देख मुस्कुराना
तन्हाइयों में धीमे से गुन गुनाना
किसी और को उसके साथ देख चिढ़ जाना
प्यार को भी प्यार से छुपाना
वो राहों में अचानक से उनका दिख जाना
यूं घंटों आइने के सामने मेरा शर्माना
रिमझिम सी बूंद भी गीत गाती थी मल्हार की
वो बात ही कुछ और थी पहले पहले प्यार की।