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Mousmi Bishnu

Drama

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Mousmi Bishnu

Drama

वसंत ऋतु

वसंत ऋतु

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खिलते कुसुम आज, झूलते से द्रूम आज

झूमते चराचर जो इनको निहारिए


आया है वसंत, हो हमारा अरिहंत

पुलकित अंग अंग, निज तत्व को निखरिए


ओस की महक पर, भोर की चहक पर

मोर की लहक पर तन मन वारिए


आई पुरवाई अंगानई अंगनाई

हर्शाई अमराई शुभ यौवन सँवारिए।


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