मन के जीते जीत
मन के जीते जीत
बाधाएं तो आती है, वह आती हैं और आती रहेंगी l
तू डर मत, तू रूक मत, बस अपना
कर्म करते चल l
मन को बना ले सरिता, बाधाओं के बीच रास्ता बनाते चल l
क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत l
जरूरी नहीं जीवन में तुझे शीतल, मंद, सुगंधित समीर मिले l
सामने गर्म पवन, सर्द हवाएं, आंधी तूफानों के चक्रवात भी आएंगे l
तू हिम्मत न हार, मन छोटा ना कर, मन को अपने सुमेरु बना l
क्योंकि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत l
क्या हुआ जो तू ठोकर लगने से औरों की तरह गिर गया l
गिरने में कोई बड़ी बात नहीं, फिर से संभाल और इतिहास बना l
जिन पत्थरों से तुझे ठोकर लगी, उन्हें ही सफलता की सीढ़ी बना l
क्योंकि मन के हारे हार है मन के जीते जीत l
उलझनों के भंवर में, अगर फंसी है तेरी जीवन नैया l
इधर - उधर के लहरों के थपेड़े भी जब तुझे विचलित करने लगे l
तब भय छोड़ हिम्मत से कर सामना, मन को तू अपने पतवार बना l
क्योंकि मन के हारे हार है, मन के जीते जीत l
जीवन एक संघर्ष है, तू इससे कब तक बचेगा और भागेगा l
हिम्मत से कर सामना, मन को कस, कर इसपर अपना वश l
अपनी सफलता की कहानी, स्वयं अपने कर्मों से तू लिख l
क्योंकि मन के हरे हार है, मन के जीते जीत l