साँवली सूरत और मोहिनी मूरत
साँवली सूरत और मोहिनी मूरत
साँवली सूरत, उसकी मोहिनी मूरत, और
नैन नक्श कजरारे, मन में उतार लूं।
जुल्फों की छाँव में, यूं सपनों के गाँव में,
हृदय की धड़कन को मैं सुरों में सवार लूं।
साँवली सूरत......।।
उसके यौवन की चंचल काया को,
इस हिय में बसाऊंगा प्रेम के लिए,,
मन है पावन, फिर भी आँखों में सावन,
फिर भी गंगा में नहाऊंगा, प्रेम के लिए,
जब चाँद उगे गगन में, वो भी जले अगन में,
मेरा चाँद मन में है तो उसी को नीहार लूं।
साँवली सूरत ...... ।।
तक -तक नैन लडे़, मन भी उछल पडे़,
उस रंग रंग जाऊंगा प्रेम के लिए,
फूल भरी सेज खिले, दो हिय की डोर मिले
बांहों में बंध जाऊंगा, प्रेम के लिए,
गदराए तन वाली, आफू सी वो मदवाली,
यौवन के उस नशे में, इस मन को निथार लूं।
साँवली सूरत........।।