Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Pankaj Prabhat

Drama Romance

4  

Pankaj Prabhat

Drama Romance

वो शाम भी अजीब थी

वो शाम भी अजीब थी

1 min
263


वो शाम भी अजीब थी, वो मेरे बहुत करीब थी,

हाथ में आखरी बार, उसके हाथ की लकीर थी।

कदम रुके-रुके से बढ़ रहे, जैसे बँधी ज़ंज़ीर थी,

आँखों के आइने में, एक दूसरे की तस्वीर थी।

वो शाम भी अजीब थी, वो मेरे बहुत करीब थी…...


साँस-साँस दोनों के दिल, घबरा रहे थे साथ साथ,

लब पर रुकी बात थी, जो छुपा रहे थे साथ साथ,

उँगलियाँ बतिया रही थी, सुन रहा था रोम-रोम,

राहें धुँधला गयी थी, पलकों पर पानी की लकीर थी,

वो शाम भी अजीब थी, वो मेरे बहुत करीब थी…..


यादों की दीवार पर, पहली मुलाकात उभर आई थी,

वो कॉलेज का रूम, जहाँ वो पहली बार बतियायी थी,

फिर दोस्त बनी, फिर मोहब्वत बन दिल में समाई थी,

उसके हर अदा हर शोखी, मेरे आत्मा में स्थिर थी।

वो शाम भी अजीब थी, वो मेरे बहुत करीब थी…..


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama