तो क्या होता
तो क्या होता
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जेब में वो एक तस्वीर धुंधली सी,
पलकों पर वो एक ख्वाब अधूरा सा,
किताबो के कुछ पन्ने अनपल्टे से,
सोचता हूँ अगर ऐसा न होता तो क्या होता!
गली का वो एक मोड़ अनजाना सा,
एक बीता लम्हा अफ़साना सा,
वो एक अजनबी जाना पहचाना सा,
सोचता हूँ अगर ऐसा न होता तो क्या होता!
सपनो के बिस्तर पर लेटा हुआ मन,
अच्छे बुरे के बीच की वो उलझन,
पल पल जवान होता वो बचपन,
सोचता हूँ ऐसा न होता तो क्या होता!