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Pankaj Prabhat

Others

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Pankaj Prabhat

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तो क्या होता

तो क्या होता

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जेब में वो एक तस्वीर धुंधली सी,

पलकों पर वो एक ख्वाब अधूरा सा,

किताबो के कुछ पन्ने अनपल्टे से,

सोचता हूँ अगर ऐसा न होता तो क्या होता!


गली का वो एक मोड़ अनजाना सा,

एक बीता लम्हा अफ़साना सा,

वो एक अजनबी जाना पहचाना सा,

सोचता हूँ अगर ऐसा न होता तो क्या होता!


सपनो के बिस्तर पर लेटा हुआ मन,

अच्छे बुरे के बीच की वो उलझन,

पल पल जवान होता वो बचपन,

सोचता हूँ ऐसा न होता तो क्या होता!


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