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Pankaj Prabhat

Drama Children

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Pankaj Prabhat

Drama Children

नीला आसमाँ खो गया,

नीला आसमाँ खो गया,

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नीला आसमाँ खो गया, 

अपना वो जहाँ खो गया।


वो खेत छूटे, खेल छूटा, छूटी वो अमराई,

छत वो छूटा, अँगना छूटा, छूटी वो पुरवाई।

वो पुआलो पर फिसलते हम, वो मेढ़ों पर चलते हम।


नीला आसमाँ खो गया, 

अपना वो जहाँ खो गया।


अपने साँसों में रची है, इस मिट्टी की खुशबू,

इसके कण-कण में बसी है, बाबा दादी की ही रूह।

ये दरो-दीवार हुए गुमसुम, हमसब हुए मैँ और तुम।


नीला आसमाँ खो गया, 

अपना वो जहाँ खो गया।


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