तो लगता है, ज़िंदा हूँ.....
तो लगता है, ज़िंदा हूँ.....
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ,
आँसू जब यूँ ही, छलक जाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ।
यूँ तो कई बात, जज़्बात, हालात, साँस-साँस, सताते हैं,
जब कोई साँस, मन चीर जाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ।
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ…..
कल तक दोस्तों में था, आज दोस्त भी राहगीर से हैं,
मस्ती थी प्यार था, एक अनकहा सा, कोई एतबार था।
यूँ तो आज भी, राह चलते, टकरा जाते हैं दो-चार मगर,
कोई एक, रुक कर मुड़ जाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ।
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ…..
कुछ आरज़ूएँ, जुस्तजू, ख्वाहिश, थोड़ा ईमान, और,
कई रातें बेचीं हैं मैंने, कुछ ख्वाब, सुहाने से खरीदने थे।
अरमान का समंदर, आसमान से, एक बादल सा हो गया,
वो बादल भी, बिन बरसे गुजर जाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ।
कई रातें बेचीं हैं मैंने, कुछ ख्वाब सुहाने से खरीदने थे
दर्द जब दिल पर, खटखटाए, तो लगता है, ज़िंदा हूँ…..