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Pankaj Prabhat

Drama Inspirational Others

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Pankaj Prabhat

Drama Inspirational Others

बारह, बहाने हो गए…..

बारह, बहाने हो गए…..

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फिर एक साल के महीने, एक से बारह हो गए।

फिर नए नए सपने सजोने के बहाने, बारह हो गए।

जो, लॉजिक ढूँढता रहा, साल भर हर शख्स यहाँ,

उस लॉजिक में, फिर से लॉजिक ढूँढने, के इशारे हो गए।

फिर नए नए सपने सजोने के बारह, बहाने हो गए…..


पहले दस दिन तो, याद करेंगे, बीते तीन सौ पैंसठ को,

कुछ गम, कुछ खुशी गिनेंगे, जो शायद सिर्फ पैंसठ हो।

फिर एक बिजली सी कौंधेगी, दिमाग के गलियारों में,

फिर संक्रांत उतार कर, शुभ काम करने के इशारे हो गए।

फिर नए नए सपने सजोने के बारह, बहाने हो गए…..


वो साल दूसरा था, ये साल दूसरा है, फिर दिल को समझायेंगे,

होली, दशहरा, दीवाली, छट, पर फिर सबसे मिलने जाएंगे,

रिश्ते वही रहेंगे पर, कहीं मिठास, तो कहीं पर टीस होगी।

बदलते रिश्तों को फिर से, रिश्तों में बदलने के इशारे हो गए।

फिर नए नए सपने सजोने के बारह, बहाने हो गए…..


भूल कर, दर्द जो रहा हो, जो मिला हो, या जो खो गया होगा,

याद रखें, फिर नई सुबह होगी, फिर उम्मीद मुस्कुरा रहा होगा।

विश्वास हो, फिर हर रात नए ख्वाब, दिन को नए हौसले मिलेंगे,

फिर, हाथ की लकीरों को, आज़माने और बदलने के इशारे हो गए।

फिर नए नए सपने सजोने के बारह, बहाने हो गए…..


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