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Abhishu sharma

Drama

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Abhishu sharma

Drama

उम्मीद

उम्मीद

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वक़्त में अभी दर्द से रूबरू हैं ,खुशियां सब खफा सफा हैं

माथे की लकीरों में अनगिनत सिलवटें हैं और

हाथों की लकीरों में उतने ही गम हैं


मोहब्बत की नई सुबह,सुकून की दोपहर की नरम गर्माहट या

लालिमा का टीका सिरहाने लगाए सांझ के चेहरे पर

सब ये किस्मत में नहीं है


तक़दीर में है रात का घना अँधेरा

जिसके नभ में दुर्लभ हैं तारों का टिमटिमाना

पूर्णिम चाँद का जगमगाना आँखों में


आँखों की नमी में धुंधलापन उम्मीदी का है

आज एक बार फिर उजाले को डूबकर अँधेरे में समाना है। 


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