सहर
सहर
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वैसे तो ख़ुशी भर -भर के है दन-दना -दन दिलखुश
इस मन के अंदर , ..
मतलब भैया ! ओवरफ्लो हो रहा है हैप्पीनेस का पैरामीटर ,
दिल हंसकर खुलकर
धमाचौकड़ी करता जिया मस्त-कलंदर ,
कहलाता मेरा भी अब मुकद्दर एक सिकंदर ,गर
आपका रिप्लाई ज़रा आ जाता ,अक्सर
पतझड़ का खंडहर जानकर मेरे नाम से बेखबर
ऐ! निरंतर के हम-नामी
ऐ ! मेरी ज़िन्दगी के दिनकर
आपका रिप्लाई ज़रा आ जाता आज अगर तो
बात ही कुछ और हो जाती
ये दर्द का स्याह पहर बन जाता मेरी सहर।
