माँ
माँ
एक लम्हे में शायद वो वक्त ठहर गया था,
तेरी याद में माँ मेरा अस्तित्व बह गया था।
वो चेहरे की मुस्कान, वो आंखें, वो उम्मीद,
वो सपना कह गया था,
वो खौफसुदा मंजर नजाने कैसे सह गया था।
आंखों का खुला बंद होना अब माइने नही रखता माँ,
तेरी यादों का काफिला उन आंखों में रह गया था।
वो तेरी कही हर बात , हर आदत, हर घर का कोना,
मेरी मासूमियत छीन वो मेरी माँ को ले गया था।
जानती हूं कुदरत का नियम है हर किसी का जाना,
फीर क्यों तेरा जाना मुझे इतना खल गया था।
हर आहट पे दिल को तेरी आवाज का इंतजार रहता है,
न जाने ये खामोश कमरा कौन सी बात कह गया था।
तेरा वो नाराज़ होना उस पर मेरा सताना,
तेरा वो प्यार , वो चिंता ले गया था।
बहुत याद आती है माँ हर लम्हे में तेरा एहसास है,
न जाने फीर क्यों तेरे जाने से ये मन उदास है।
लौट आ माँ कुछ वक्त उधार दे,
रोक लूं में वो पल जो तुझे मुझसे ले गया था।