Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Renu kumari

Tragedy

4.5  

Renu kumari

Tragedy

तन्हाई के ख्याल

तन्हाई के ख्याल

1 min
331


उस रात दिल के किसी कोने का फिर एक टुकड़ा टूटा था,

नम हुई उन आँखों से वो सपना किसी ने लूटा था।

कसूर यही था कि उसके दिल का हाल जानना चाहती थी,

उस रात उन बाहों से उस शख्स का साथ छूटा था।

ज़िद थी मेरी की उससे बात करूं

पता नही मासूमियत में मेरी , हमदर्द मेरा झूठा था।

सुनती रही पूरा दिन नुमाइशें उसकी,

यक़ीन आया तो देखा हर रिश्ता मुझसे रूठा था।

उस रात दिल के किसी कोने का फिर एक टुकड़ा टूटा था,

नम हुई उन आँखों से वो सपना किसी ने लूटा था।

करती ऐतबार उन आँखों पर या दिल का करती में यक़ीन,

देख उस शख्स की काया बदल वो लम्हा मुझसे छूटा था।

हर रास्ते पे पेहरा था उसका,

हैरान थी सच जान की हर वादा किया सब झूठा था।

सवाल करती खुद से या उनका जवाब में खुद को देती,

तन्हा रात में बैठी तो मेरा साया भी मुझसे रूठा था।

उस रात दिल के किसी कोने का फिर एक टुकड़ा टूटा था,

नम हुई उन आँखों से वो सपना किसी ने लूटा था।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy