गुज़ारिश
गुज़ारिश
कुछ तुम्हारी कही कुछ मेरी सुनी,
कभी वक़्त मिले तो पढ़ लेना।
किताब वो दिल की दास्तां है,
किसी दुकान मिले तो रख लेना।
मोल तो नही है उन लम्हों का,
पर जो भाव मिले तुम लेलेना।
व्यपार नही है यादों का,
कुछ मन कि बोली तुम कह लेना।
मुमकिन नही है तुमसे ये कहना मेरा,
लोग बातें बनाए तुम सह लेना।
आना कभी वो गली तो जाना,
वो गीत मन के तुम सुन लेना।
होते मेरे तो क्या बात होती,
ना हुए फिर भी तुम हंस लेना।
याद आती बहुत है तुम्हारी,
कभी बारिश गिरे तो भीग रो लेना।
प्यार बहुत है अभी भी तुमसे,
कभी मौका मिले तो आजमा लेना।
रहूंगी में हमेशा वही,
चलते हूए कभी तुम देख लेना।