सिर्फ तुम - पहला प्यार
सिर्फ तुम - पहला प्यार
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मेरे पहले प्यार की कविता हो तुम
मेरे मुहब्बत का इंतहा हो तुम
मेरे दिल की हर सदा में हो तुम
मेरे हर दुआ मे हो तुम
इश्क से अंजाना था मै
मुहब्बत से बेगाना था मै
तेरी चाहत ने इश्क सिखाया मुझे
तेरी चाहत ने इश्क सिखाया मुझे।।
चाहत ये मेरी तुझमे क्यो बसी है
मेरे दिल की बस तू ही एक खुशी है
ख्वाबों मे मेरे तु ही बसी है....
की मेरी हर सोच तुझपे ही रुकी है।
तुम्हारे ख्वाबों का हमे
आसरा मिल गया है,
तुम्हारे एहसास ने हमें
मंजिल दिखा दिया है....
तुम्हारे इश्क ने हमें
अपना बना लिया है...