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Dineshkumar Singh

Romance

3  

Dineshkumar Singh

Romance

बधाइयाँ

बधाइयाँ

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199


लिखेंगे सभी बधाइयाँ, मैं क्या लिख पाऊँगा?

मोल तुम्हारे प्रीत का, मैं क्या लगा पाऊँगा?

तुम उसका जीवन हो, जो मेरा जीवन है,

इस नाते को मैं और कितना समझा पाऊँगा


वक्त उतना हैं, जितना की लिखा है,

तुम्हारे, हमारे तक़दीर में।

वक्त उतना ही हैं, जितना की लिखा है,

तुम्हारे हमारे तक़दीर में।

पर अगर हो मुमकिन तो,

कुछ अपना हिस्सा तुम्हें दे जाऊँगा।


जीवन में ख़ुशी भरो, ख़ुशी जोड़ो, ख़ुशी दो, ख़ुशी पाओ ,

इसे सिर्फ बीतने मत देना। इसे समझो, सोचो और मूल्यवान बनाओ

दूसरों के लिए जीते जीते, खुद को ना हारो।

खुद के लिए भी जियो, और खुद को भी संवारो।

आज अगर ये ना कह पाया मैं, तो ये कब बता पाऊँगा?


सबके रंग बिरंगे तोहफों में, तुम्हें मेरा ये एहसास भी मिले।

गीतों की महफ़िल में, मेरे भी कुछ शब्द जुड़े।

मीलों दूर से, बस स्पर्श यही पहुंचाऊंगा।

देंगे सभी बधाइयाँ, मैं तो सिर्फ इतना ही कह पाऊँगा।



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