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Archana Singh

Romance

3  

Archana Singh

Romance

चाहत

चाहत

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चाहा था जिसे वह गुमनाम हो गई

जो न चाहा था वही बात हो गयी

 तुम कभी सपना बनकर मेरी निगाहों में बसते थे

आज बीच राह में मुलाकात हो गई

 जो न चाहा था वही बात हो गयी ।। 


चाहते रहे कि तुम मेरे दिल से 

ता उम्र न निकलो मगर

जाने कब आंखों से बरसात हो गई

जो ना चाहा था वही बात हो गई 

जिससे डरते थे वही बात हो गई 

जो न चाहा था वही बात हो गयी ।। 


तुम्हें बेइंतहा चाहा तो तुम न थे 

तब मेरे साथ हर याद हर बात थी

दिल में बसी तुम्हारी सूरत थी 

चाहते थे कभी दिल ना टूटे 

और तू कभी ना रूठे 

पता नहीं क्या इत्तेफाक हो गई 

जो ना चाहा था वही बात हो गयी ।। 


सब कुछ खोने के बाद भी 

दिल में एक विश्वास था 

हर डगर हर मोड़ पर 

बस तेरा ही इंतजार था

पलके उठी 

सारे आंसू छलक गए 

अपने दामन में देखा तो कुछ भी न था 

फिर जाने क्या बात हो गई 

तुम्हारी याद आ गई 

बस जो ना चाहा था वही बात हो गयी ।। 


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