स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
गैर तो गैर ही होंगे
क्यों मन यह समझ ना पाए
प्यार की ऐसी लागी लगन
लोक व्यवहार समझ ना आए
क्या यही है आजादी ?
मात पिता का प्यार भुला कर
चल दिया अनजाने संग प्यार कर
बिना सोचे समझे छोड़ चले घर
अपने पसंद का चुनकर वर
पास बुला कर अपनी बर्बादी
क्या यही है आजादी ?
दूर भाग कर अपनों से
भूल कर अपनी मर्यादा
श्रद्धा सुमन न बन पाई
कलंकित हो गई ज्यादा
अर्थ स्वतंत्रता का समझ न
पाए शर्मसार हो गई मानवता
एक ऐसी रक्तरंजित शादी
क्या यही है आजादी ?