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Aishani Aishani

Tragedy

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Aishani Aishani

Tragedy

अरे..! क्रूर निर्मम दरिंदे

अरे..! क्रूर निर्मम दरिंदे

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क्या सुख भोगेगे ये संवेदन शून्य कल्पद्रुम..? 

इन्होंने ने तो हमसे हमारी ज़मी और आसमां को

छीनकर हमारे हिस्से का सुख भी हड़प लिया है। 


यह कैसा ख़ूब इनाम दिया है इन दरख़्तों को

जो सदैव वर्षा शीत ताप में खड़े रहकर

 हर थके मांदे राही को सुकूँ भरी छाँव देकर 

शीतल मंद समीर उनके नाम किया है। 


अरे..! 

ये तो हमारे वो बुजुर्ग हैं जो अपनी साँसे तक गिरवी रख देते हैं

हमारे सुख-चैन के लिए..! 

गिरते गिरते भी हमारे भले की सोच गये 

और.. रंच मात्र उफ़्फ़ तक ना किये। 


अरे..! क्रूर निर्मम दरिंदे

अपनी ही जड़ जमाने में लगे हो..? 

समय है अब भी संभल जाओ

अपने में पर हित की सोच लाओ

नहीं तो निस्सीम नियति के अक्रामक बवण्डर 

तुम्हें भी जड़ से उखाड़ कर धूल में

मिलाकर अस्तित्वहीन कर देंगे।


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