छूना चाहते हैं ऊंचा गहरा आसमां छूना चाहते हैं ऊंचा गहरा आसमां
घिर जाने दो घटाओं को आसमां में अब सारे ग़म भुलाकर फिर से चलो मुस्कुराएं। घिर जाने दो घटाओं को आसमां में अब सारे ग़म भुलाकर फिर से चलो मुस्कुराएं।
हाँ दरख़्त के पास उसकी, कुछ कमी- कमी सी है। हाँ दरख़्त के पास उसकी, कुछ कमी- कमी सी है।
आने वाले नए रास्ते की खुशी है कम जो छूटी गलियां पीछे हैं...उनका है गम, आने वाले नए रास्ते की खुशी है कम जो छूटी गलियां पीछे हैं...उनका है गम,
फिर भी एक आस बची है, बादल बरस जाएंगे, सब तर हो जाएंगे फिर भी एक आस बची है, बादल बरस जाएंगे, सब तर हो जाएंगे
मेरे अंदर जैसे कविता की पत्तियाँ फूटने लगीं मेरे अंदर जैसे कविता की पत्तियाँ फूटने लगीं