आशा
आशा
कुछ तो अभी भी बचा है
सूखी धरती, पेड़ सूखे
दरिया की धार भी महीन रेखा बन गयी।
फिर भी एक आस बची है,
बादल बरस जाएंगे, सब तर हो जाएंगे।
टूथ पेस्ट की ट्यूब दो हिस्सों में कट गयी,
क्योंकि निकालने को अभी कुछ तो बचा है।
पंजीरी की प्लेट ख़ाली थी
झाड़ कर उसे एक फाँक निकल आयी
बाँटने वाले के लिए कुछ तो बचा है।
ख़त्म सब कुछ होता नहीं कभी भी,
धरती का सीना चीर, या माथे से समंदर के
कोई निकल आता, सब कुछ ठीक कर जाता।
कुछ न कुछ बचा है।
कभी दरख़्त हरा भरा, शान से खड़ा
कभी बन बीज छुप जाता
कुछ तो बच जाता।