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Sunanda Aswal

Tragedy

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Sunanda Aswal

Tragedy

"मैं फौजी हूं "

"मैं फौजी हूं "

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मेरे महबूब सर जमीं मेरी...

दुश्मन की गोली,सीने पर चली...!!

मौत को आगोश में खेलते रहे,

हर जख्म सीने का छिपाते रहे..!!

लहूलुहान हुए ,अपने को बिछाते रहे,

गोलियां बंदूक की खाते रहे..!!

कई कई दिन आंखें से अश्क रोते रहे,

सूख गए कुएं भी जिनमें पानी थे भरे..!!

आज भी उठता हूं कई कसमें लिए,

दुश्मन को सबक सिखाने के लिए..!!

मौत भी आकर तमाशा देखे,

कितने रुसवाईयां ले हम चले...!!

सोता हूं तो सोने नहीं देती,

घर का मातम रोने नहीं देती...!!

कर चला हूं सफर और भी लम्बा,

सब मेरी शाहदत को याद रखना ...!!



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