ओ कृष्णा
ओ कृष्णा
राधा बन छैल छबीली..!
पनघट राह चली..!
थीरकत गज सो कटि..!
सुध -भूल गई..!
श्माम संग- रंग मिल गई..!
घुल गई ,सुध भूल गई ..!
हौले- हौले अधर मुस्कान.!
जपे श्याम नाम ,पीय मान .!
बसे हिय वो प्राण प्रीत बाण.!
यमुना तीर, कदम्ब वृक्ष छाया..!
पुष्प खिला,मुरली धर माया..!
माया जी माया ,कंचन हुई काया..!
दर्शन की प्यासी..!
नेह में उदासी...!
जागी आभिलाषा ...रे...मोहना..!
मन -पट खोल दी..!
हां .!.खोल दी..!
नयन भए सुरमई..!
लज्जा आई ,तनिक शरमाई ..!
पंख फैलाई ,मन भरमाई..!
झट श्याम याद आई..रे मोहन..!!
गली में चहके शोर ये उठा..!
राधा पुकारे , सांवरे ओ कृष्णा ..!
आ ..तू ...आ..!
श्याम नाम रटा ...!
प्रातः-सांझ जपा..!
तपा और तपा..!
प्रभु तोई कृपा...!
