क्या दूं ऐ देश तुझे
क्या दूं ऐ देश तुझे
मैं सोचती हूं कई बार ...इस देश को क्या दूं ..
जिसने मुझे दिये हैं ये पावन धरती के उपहार ..उसे मैं क्या दूं ..!
ऐ ..! देश मैं क्या दूं जिसने मुझे दी हैं गीता ,कुरान , गुरु -ग्रंथ ,बाइबिल ...
समझ नहीं है फिर उस देश को मैं क्या दूं ..!
गंगा-जमुना , सरस्वती का दिया उपहार वो पवित्र जल ...
उस प्यारे देश को मैं फिर क्या भेंट करुं...!
सोने का ताज दूं या हीरे का हार दूं मैं ...
ना -ना ये सब नहीं उसको मैं प्रेम दूं मैं ..!
उस प्रहरी से पूछूं मैं इस देश को क्या दूं ..
निज देश की खातिर मस्तष्क ही दे दूं मैं ..!
आंखें भर आईं सोचते सोचते ...
उन अमर शहीदों को अपना पैगाम दे दूं मैं ..!
कवि इकबाल ,मैथली सिपाही कलम के ..
अपनी कलम से शत शत् नमन करुं मैं ..!