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Sunanda Aswal

Fantasy

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Sunanda Aswal

Fantasy

'शिकायत निशा की '

'शिकायत निशा की '

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निशा ने अमावस्या से शिकायत की .!

ओढ़नी पर कौन आज सितारे टांकेगा मेरी .?

हां ! चंदा कौन सजाएगा चांद की नगरी ..?

फिर अंधियारे में ..

रात्रि के पहर में जिंदगी बुझ जाएगी ..!

सुबह के आंचल में घुल जाएगी ..!

सूरज प्रातः बांह पर झुलाएगा ऊषा को ..!!

कैसे चहकूंगी मैं फिर सांझ को ..?

आस का पंछी मैं खूब चहचहाऊंगी ,

प्रेम का राग होंठों से गुनगुनाऊंगी ..!

पंख ले आसमां छू लूं जरा..

आज मुक्त काली अमावस्या से हो लूं जरा .!



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