नीम का पेड़
नीम का पेड़
कट गया वो नीम का पेड़
जहां कुल्फी वाला अपना ठेला लगाया करता था!
क्या आज भी वो उसी अभिमान और प्रबल शक्ति
से किसी पेड़ के नीचे ठेला लगाये खड़ा होगा ?
क्या उसे भी उतना दुःख होता होगा ? जितना
प्रकृति के देवता को होता होगा !
क्या आज भी लोग उस नीम के पेड़ के नीचे,
उसका इंतज़ार कर रहे होंगे ?
वह अब भी उस नीम के पेड़ के नीचे से अपना
ठेला लेकर जाता होगा !
क्या अब भी उसकी उतनी कमाई होती होगी ?
जितनी तब होती थी !
क्या अब भी उसके बच्चे ? अभी भी उतनी
उत्सुकता से उसका इंतज़ार करते होगे!
क्या वह भी मेरी तरह रास्ता भटक कर
पहुँच जाता होगा वहाँ ?
कट गया है जो नीम का पेड !
क्या कुछ नए लोग उसके पक्के ग्राहक बन गए होगे
क्या आज भी लोग उसे गरीब समझते होगे ?
क्या आज भी उससे घृणा की जाती होगी ?
क्या वह अपने भाग्य को कोसता होगा
या ईश्वर की मर्ज़ी बताता होगा ?
कही ऐसा तोह नहीं की उसने अपना व्यापार
बंद कर दिया हो और शोक मना रहा हो
उसका कट गया है जो नीम का पेड़ !
