चल, चल रे किसान
चल, चल रे किसान
चल, चल रे किसान
चल, चल रे किसान
मुट्ठी में है तेरे तेरा ईमान
तू रुकना न, तू थकना न,
तू झुकना न तू चलते रहना
चल, चल रे किसान
शासन की वो खोल
दीवारें तुझको रुकवाएगे
आँसू गैस के गोले और
पानी की बौछारे करवाएंगे
तुम राह को थामे चलते रहना
देश में रह कर दिल्ली से
कितना दूर है तू किसान
सत्ता की डोरी मजबूत है थोड़ी
सत्ता तुझको बहलाएगी, झुकलायेगी
पर तू मत झुकना किसान
तू इस भारत माता की है संतान
तू गिनने में न जब आएगा
वो मुट्ठी भर ही बताएंगे
वो खूब कहेगे तुमसे
हम शर्ते नहीं हटाएंगे
जिस पर लिखा नियम है
हमने वो कागज़ नहीं
दिखायगे
मिट्टी तेरी उगले सोना
छोड़ना न तू अपना
कोई भी कोना
पगड़डी थामे तूने
बेचा न अपना ईमान
चल, चल रे किसान
हड़प्पा से निकाल तूने
देश बनाया महान
तू चलता रह अपना अभियान
तू रुकना न, तू थकना न,
तू चलते रहना
चाहे सुबह से हो जाये शाम
तेरे हित से बड़ा न कोई कलाम
चल, चल रे किसान
चल, चल रे किसान
जब लाल किले से एहसानों
की बातें खूब बतायी जाएगी
तुम जुमलों में न बहना
तू थाम तिरंगा चलते रहना
माँग रहे हो तुम हक़ अपना
तुम राह को थामे चलते रहना
माँग से अपनी तू न हटना
चल, चल रे किसान
चल, चल रे किसान!