पिता.....।
पिता.....।
(बच्चे और पिता के बीच होते संवाद को कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है)
मां की ममता मां का प्यार हर किसी को है नजर आता,
पर पिता के गुस्से के पीछे छिपा प्यार,
क्यों किसी को नजर नहीं आता?
हम कोई पत्थर दिल नहीं पर हमें कठोर बना दिया,
बच्चों के भविष्य की चिंता में रात दिन पसीना बहा दिया,
पर वो मेहनत वो परिश्रम क्यों किसी को नजर नहीं आता?
हाथ मैं पैसे नहीं पर बच्चों की हर ख्वाहिश करते पूरी,
जुते फट गये कोई ग़म नहीं पर बेटे की खुशी महत्वपूर्ण है,
इस खातिर खुद की खुशी भूल गए,
फिर वो स्नेह दुलार क्यों बच्चों को नजर नहीं आता?
शायद जिम्मेदारी के बंदिशों में इतने उलझ गए,
बच्चों को समय देना भूल गए,
और शायद इसी कारण बच्चे हमें भूल गए,
दोष उनका नहीं पर कसूर हमारा भी नहीं,
क्या करें जिम्मेदारी के बंदिशों में फंस गए,
पापा...पापा... आपकी जिम्मेदारी को बखूबी समझते है,
जानते हैं हम आप भी हमसे उतना ही प्यार करते हैं,
पर हमेशा अपने साथ मां को है पाया हमने,
चोट लगती हर वक्त मां को पुकारा हमने,
पर करते हैं आपसे भी उतना प्यार पापा,
बस जतला नहीं पाते,
बेशक नौ माह पहले जुड़ जाता हमारा मां से रिश्ता है,
पर आप भी तो उतना हमारे लिए बेचैन रहते हो,
मां की जो इतनी परवाह करते हो,
क्या हम समझते नहीं आपके दुलार दिखाने का यही तरीका है,
बेशक आप कुछ कहते नहीं पर चिंतित हर पल रहते हो,
हम बच्चे हैं आपके आपका अधिकार है हमें डांटना,
गलती करें तो बेशक थोड़ा गुस्सा करना,
पर आपके ऊपर जिम्मेदारी इतनी है,
कि आप हमें समय नहीं दे पाते उसका थोड़ा अफसोस है,
पर जानते हैं हम आप हमसे करता उतना ही प्यार हो।
हैप्पी फादर्स डे पापा..