बेटी के लिए पिता का ज्ञान
बेटी के लिए पिता का ज्ञान


कैसी हो बेटी , अच्छा चल रहा है ना सब कुछ
रास्ता तुम्हे तय करना है साथ है ना सूझ बुझ
लड़की हो तुम पर अपने आप को लड़ाकू समझना
हर बात बताने के लिए मुझे अपना दोस्त समझना
दुनिया देखा है तुमसे ज्यादा इसलिए हर बात को मुझसे साझा करना।
अपने व्यवहार को नारियल त्वचा की तरह कठोर रखना
अपने कदम को अपने बचाव के लिए ठोस रखना
अच्छा क्या , बुरा क्या बिल्कुल इसकी समझ रखना
दुनिया अपनी नजरों से समझती है सबको
अपनी नजर और इरादे नेक रखना
निर्भया और साक्षी मत बनना
जब आए वैसी समय तो अपने आपको को काली बना लेना
उनके सिरो को काटकर लहूलुहान कर देना
जब कोई बुरी निगाह उठे तुम पर
उनकी आंखो को निकलकर उनके हाथों में दे देना
जब कोई पैर रोकना चाहे तुम्हारा रास्ता
उन पैरो को अपाहिज कर के घर आना
बता देना बेटियां कमजोर नही है
जरूरत पड़े तो दुर्गा और काली बन जाना।
अब वो समय आ गया है तुम्हे अपनी रक्षा खुद करनी होगी
अब वो समय आ गया है तुम्हे हर बात का जवाब खुद देना होगा
जब कोई छेड़े तो चुपचाप सहना
मत उसके हर बात का जवाब देना होगा
खुद को बना लो बहादुर बहादुरी के साथ जवाब देना होगा।
पत्थर और चाकू का वार तुम पर हो उसके पहले पत्थर और चाकू चलाना सीखना होगा।
मनचलों को बतला दो बेटियां कमजोर नही
बलात्कारियों को समझा देना अब तुम्हारी खैर नहीं
समाज और समय बदल रहा है, बेटियां अब कमजोर नही।
अपने चेहरे पे तेजाब हमला बर्दास्त नही करना
उसके उस हरकत का जवाब तुरंत देना
डरना मत तुम्हारा पिता है तुम्हारे साथ
किसी से डरकर जीवन मत जीना
बेटी डरने वाले को दुनिया डराती है
उस डर को जीवन में आने मत देना।
वासना के दरिंदे घूम रहे है चारो तरफ
कभी तुम्हारा दोस्त बनने का प्रयास करेंगे
कभी तुम्हारा हमसफर बनने का प्रयास करेंगे
कभी तुम्हारे सामने नेक बनने का प्रयास करेंगे
तुम समझदार हो उनके चंगुल में फसना मत
उनके मीठी मीठी बातों में जाना मत
जब लगे की चंगुल में फँस गई हो उनके
डरना मत, दुर्गा और काली बन जाना
उनका संहार करने में जरा भी न हिचकना
उनका संहार करने में जरा भी न हिचकना।।