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Minal Aggarwal

Inspirational

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Minal Aggarwal

Inspirational

दादा दादी, नाना नानी जैसा कोई दूसरा नहीं

दादा दादी, नाना नानी जैसा कोई दूसरा नहीं

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मेरे पिता और 

मेरी मां 

एक ही शहर के थे तो 

मेरा ददिहाल और ननिहाल भी फिर 

उसी शहर में हुआ 

पीछे से दोनों परिवार 

पाकिस्तान के थे 


अपने दादा की मृत्यु के समय 

मेरी उम्र काफी कम थी 

इस कारण मेरे जेहन में उनकी

यादें बस थोड़ी बहुत ही हैं 

एक बार उन्होंने मुझे 

बाजार से दिलवाया 

बैट बॉल 


उनका हाथ पकड़कर मैं सड़क पर 

चल रही थी 

मैंने पूछा कि दादा मेरी मां का घर कहां है 

उन्होंने उस जगह से 

दूर दराज दिख रहे घरों की तरफ 

इशारा करके बताया कि 

देखो वह रहा तुम्हारे नाना नानी का घर 

एक दूसरी उनकी याद कि 

वह हमारे शहर, हमारे घर आये तो 


मुझे संतरे की गोलियां दिलवा कर लाये जो 

प्लास्टिक के एक गोल डिब्बे में 

आती थी 

खाली होने पर वह गेंद के आकार की 

थी तो उससे खेला भी जा सकता था 

एक बार मैं और मेरे 

माता पिता अपने दादा से मिलने गये तो 

वह रास्ते में ही मिल गये 

दादा और मेरे पिता जी 

पैदल पैदल और 

मैं और मेरी मां रिक्शा में ही 


बैठे रहे और 

घर तक पहुंचे 

एक बार मैं अपने दादा को 

बस में उनके शहर के लिए 

विदा करने किसी एक सेवक के साथ गई तो 

वह मुझे बिना कपड़ों और मेरे सामान के 

अपने साथ ही ले गये 

यह कुछ यादें थी धुंधली सी दादा की 


नाना की कोई याद नहीं 

नानी की भी यादें थोड़ी बहुत ही 

उनसे मिलने जाओ तो वह 

आदर सत्कार बहुत करती थी 

प्यार बहुत करती थी 


उन्होंने मुझे शनील का कपड़ा दिया था 

अपनी फ्रॉक सिलवाने के लिए 

दादी की यादें बेशुमार हैं 

उनके साथ जिन्दगी का एक लम्बा अरसा गुजरा

वह एक बहुत बड़े परिवार से ताल्लुक रखती थी 

उस समय को देखते हुए भी 

काफी आधुनिक थी 

अपने मायके में 

कार चलाती थी 

बैडमिंटन खेलती थी 

संगीत की शौकीन थी 


गायन और नृत्य में एक मंजी हुई कलाकार थी 

अखबार, किताबें आदि पढ़ने में 

गहन रूचि थी 

साहित्य के प्रति उनका रुझान 

देखते ही बनता था 

हर कार्य में वह निपुण थी 


उनकी सुंदरता का कोई 

जवाब नहीं था

बोलती थी तो 

फूलों की बारिश होती थी 

वक्ता बहुत अच्छी थी 

साथ में ही श्रोता भी 

हर किसी के सुख दुख में 

खड़ी रहती थी 


सबका भरपूर सहयोग करती थी 

सबका मनोबल बढ़ाती थी 

सुख और दुख उनके लिए 

लगता था 

एक ही सिक्के के जैसे दो पहलू हों 

दुख कितना भी उन्होंने देखा हो लेकिन 

उनके माथे पर कभी किसी ने शिकन 


की एक रेखा नहीं देखी होगी 

दादा दादी, नाना नानी जैसा 

कोई दूसरा हो नहीं सकता 

कोई मां बाप अपने बच्चों के 

बच्चों को प्यार न करें 

भला यह कैसे मुमकिन है।


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