लिखनी नई कहानी
लिखनी नई कहानी


अब नय दौर में शमशीर कलम से लिखनी नई कहानी हैं
जागो भारत के वीर पुत्रों समय आ गया अब लड़ने का
मातृभूमि के आन की खातिर अब कट मरने का
निज रक्त से मातृभूमि का दूध सफल करने का
शौर्य ,पराक्रम, वीरता का इतिहास नया गढ़ने का
सन बासठ बाली सारी बातें लगती हो गई पुरानी हैं
अब नय दौर में शमशीर कलम से लिखनी नई कहानी हैं
हिंसक पशुओं के आगे न सद्भाव का व्यवहार करो
सिंघ पुरूष वीर हो तुम सिंघों सा ही प्रतिकार करो
जब तक हाथ रिपु का अपने धनुष तूणीर तक पहुचे
उससे पहले हे वीर शस्त्रों का तुम शत्रु पर प्रहार करो
सिंघ पुरूष की हिम्मत ताकत रिपु को आज दिखानी हैं
अब नय दौर में शमशीर कलम से लिखनी नई कहानी है
वर्ष कोटि से है जलता सूर्य लेकिन कम न उसका तेज हुआ
चिर काल से है पयोद गरजता कम न उसका वेग हुआ
दुद्ध काल में भला वीरता कैसे सुख से सो सक
ती हैं
तुम्ही सूर्य पयोद तुम्ही हो वीरता कम कैसे हो सकती हैं
क्या पुरुसार्थ सो गया हैं तेरा या सो गई तेरी जवानी हैं
अब नय दौर में शमशीर कलम से लिखनी नई कहनी हैं
अरे याद करो तुम अब चित्तौड़ी उस अमर कहानी को
रक्तरंजित कण कण जिसका धरा उस अमर बलिदानी को
यदि सीखना हैं बल से मातृभूमि के मान को रखना तो
याद करो राणा प्रताप औऱ उन गोरा बादल अभिमानी को
बलिदानों की ही कहानी बतलाती मिट्टी राजस्थानी हैं
अब नय दौर में शमसीर कलम से लिखनी नई कहानी हैं
सिर पर पूज्य इतिहास का मुकुट लगाकर
रक्तरंजित रज से माथे पर तिलक लगाकर
पुर्खों की आशीष लिए हाथों में शस्त्र सजाकर
निकल पड़ो समर भूमि को हे भारत के शूर वीर
टूट पड़ो हर हर महादेव की जय कार लगाकर
प्राणों का मोह छोड़ो अब संग तेरे समर भवानी हैं
अब नय दौर में शमशीर कलम से लिखनी नई कहानी हैं।